गोविन्द चातक

गोविन्द चातक (Govind Chatak)

(माताः स्व. चन्द्रा देवी , पिताः स्व. धाम सिंह कण्डारी)

जन्मतिथि : 19 दिसम्बर, 1933

जन्म स्थान : सरकासैणी (लोस्तु)

पैतृक गाँव : सरकासैणी जिला : टिहरी गढ़वाल

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : चार

शिक्षा : पीएच.डी.

प्राथमिक शिक्षा- बेसिक स्कूल, आछरीखुंट

इंटरमीडिएट- घनानन्द इंटर कालेज, मसूरी

स्नातक- इलाहाबाद विश्वविद्यालय

एम.ए. (हिन्दी), पी.एच.डी.- आगरा विश्वविद्यालय

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः मसूरी में 7वीं कक्षा में पढ़ते हुए जब शंभु प्रसाद बहुगुणा से सम्पर्क हुआ।तभी लेखन शुरू किया। इससे भी पहले लोकगीतों के प्रति आकर्षण एक बड़ी परिणति रही जब छुट्टियों में स्त्रियों के गीत सुनने को मिले। उनकी पीड़ा ने प्रभावित किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए जीवन और जगत के प्रति एक नई दृष्टि बनी। बी.ए. करने के बाद मझधार में आ गया। पहाड़ों में भ्रमण किया। नृत्य और गीतों ने प्रभावित किया। उसी क्षेत्र में कार्य करने का मन किया। रेडियो की नौकरी ने आत्म प्रसार का अवसर दिया। कॉलेज में आने पर पढ़ने और ज्ञान का विस्तार मिला।

प्रमुख उपलब्धियां : आकाशवाणी दिल्ली में 4 वर्षों तक सहायक प्रोड्यूसर, नाटक; इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज में प्राध्यापक।लोक साहित्य, भाषा विज्ञान, संस्कृति और नाट्य समीक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया।5 नाटक प्रकाशित- केकड़े, दूर का आकाश, अंधेरी रात का सफर, बाँसुरी बजती रही। नाट्य समीक्षा ग्रन्थ ‘प्रसाद के नाटक स्वरूप और संरचना’, ‘आधुनिक हिन्दी नाटक का मसीहा मोहन राकेश’ विशेष रूप से चर्चित। ‘गढ़वाली लोक गीत’ (साहित्य अकादमी), ‘गढ़वाली लोक गाथायें’ आदि भी उल्लेखनीय हैं। भाषा के क्षेत्र में ‘मध्य पहाड़ी परम्परा और हिन्दी, पहाड़ी भाषा के अध्ययन रूप में मानक ग्रन्थ। पर्यावरण और संस्कृति के संकट पर भी विशेष लेखन। अब तक लगभग 20 पुस्तकों का लेखन। ‘जय श्री सम्मान’। ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’, ‘रामनरेश त्रिपाठी पुरस्कार’, साहित्य कला परिषद दिल्ली प्रशासन का नाटकों का सर्वोच्च पुरस्कार, ‘पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार’ जैसे पुरस्कार पुस्तकों पर दिए गए हैं।

युवाओं के नाम सन्देशः प्रसाद के शब्दों में, इस पथ का उद्देश्य नहीं है, श्रांत भवन में टिक रहना, किन्तु पहुँचना उस सीमा पर जिसके आगे राह नहीं।

विशेषज्ञता : भाषा, साहित्य, लोक संस्कृति, आलोचना।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.

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